इंटरनेट पर मौजूद मनरेगा का सच

सूचना शिक्षित व अशिक्षित, दोनों को संबल देती है। कई लोगों के लिए इंटरनेट सूचनाओं का सबसे बड़ा कूड़ाघर है। फिर भी कई लोगों के लिए यह कूड़ाघर सशक्तीकरण का स्रोत है। सरकारी गलियारों में सूचना व इंटरनेट एक-दूसरे से अनभिज्ञ होने का खेल खेलते हैं, जो असत्य-सा लगता है। वहीं, आरटीआई के तहत अपनी…

सामाजिक बदलाव में मोबाइल का साथ

हममें से ज्यादातर लोग सामाजिक बदलाव में मोबाइल की भूमिका को लेकर सजग नहीं हैं। चलिए कुछ उदाहरणों पर गौर करते हैं। बिहार में अनन्या कार्यक्रम के तहत आठ जिलों में ‘मोबाइल कुंजी’ के इस्तेमाल का अनूठा प्रयोग किया गया है। यह पहल बिहार में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वाले कर्मियों की भरपूर मदद…

आपदा में सामुदायिक रेडियो की अहमियत

अगर आपके पास जानकारी है, तो आप सशक्त हैं और इनके बिना आप अवसरों, अधिकारों और अपनी आजादी से भी वंचित हो सकते हैं। उत्तराखंड त्रासदी में सूचना ही सबसे अधिक आहत हुई, मगर कैसे? हिमालय के ऊपरी इलाकों की सही स्थिति के बारे में हमारे पास लगभग न के बराबर सूचना है। इसमें कोई…

गांवों में मोबाइल गवर्नेस की जरूरत

तेईस साल की राखी पालीवाल राजस्थान के राजसमंद जिले में उपली-ओदेन पंचायत की उप-प्रमुख हैं। वह एकमात्र चुनी हुई महिला सदस्य हैं, जो बाइक चलाती हैं। सुबह चार बजे उठकर खुले में शौच के खिलाफ महिलाओं को सलाह देती हैं। दिन में लॉ स्कूल जाती हैं और स्मार्टफोन से फेसबुक अपडेट करती हैं। बीते मार्च…

आदिवासियों तक पहुंचे डिजिटल शिक्षा

आदिवासी समुदायों की रक्षा के लिए असम में साल 1976 में कार्बी आंगलोंग जिले का गठन किया गया। यह असम व संभवत: उत्तर-पूर्व क्षेत्र में सबसे बड़ा जिला है। यहां कार्बी, बोडो, कुकी जैसी जनजातियां बसती हैं। यह जिला देश के 250 अत्यंत पिछड़े जिलों में भी गिना जाता है। 1995 में समावेशी विकास को…