om-150x150Osama Manzar is the Founder-Director of Digital Empowerment Foundation and Chair of Manthan and mBillionth Awards. He is member, advisory board, at Alliance for Affordable Internet and has co-authored NetCh@kra–15 Years of Internet in India and Internet Economy of India. He tweets @osamamanzar. Manzar’s complete bio can be read here.

हमारी संस्कृति का निजता से नाता

यह लेख पहले हिंदुस्तान अखबार में छपा था| निजता कोई गोपनीयता बरतने का तरीका नहीं है। इसके उलट इसे ‘अकेले रहने और दूसरे लोगों द्वारा ताड़ने या परेशान न किए जाने की अवस्था’ के रूप में परिभाषित किया गया है या फिर इसे ‘आम लोगों की निगाहों से दूर रहने की अवस्था’ माना गया है।…

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लोकतांत्रिक अधिकार है इंटरनेट का इस्तेमाल

यह लेख पहले हिंदुस्तान अखबार में छपा था| पिछले महीने मेरी मुलाकात इंबिसात अहमद और शारिक अहमद से हुई। इन दोनों नौजवानों ने ‘राइज’ नाम का एक एप बनाया है, जो जम्मू-कश्मीर, और खासतौर से घाटी के नौजवानों को प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ी सलाहें देता है, और उन्हें अध्ययन सामग्री व जानकारियां मुहैया कराता है।…

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रूढ़ियों को तोड़ रहीं डिजिटल महिलाएं

यह लेख पहले हिंदुस्तान अखबार में छपा था| पिछले दिनों मेरी मुलाकात लिपिका से हुई। वह असम के सोनापुर की हैं। स्कूली शिक्षा के लिए उन्हें जद्दोजहद तो करनी ही पड़ी, कॉलेज में दाखिला लेने के लिए भी माता-पिता को खूब मनाना पड़ा। कुछ वर्षों पहले उनकी नजर सामुदायिक सूचना संसाधन केंद्र (सीआईआरसी) पर पड़ी।…

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ताकि डिजिटल भविष्य से मजदूर न रहें दूर

यह लेख पहले हिंदुस्तान अखबार में छपा थाI हरेक देश में प्रतिभाओं के विकास और उसकी आर्थिक तरक्की की क्षमताओं के आकलन के लिए वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने एक मानक तंत्र ‘ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स’ (एचसीआर्ई) अपनाया है। साल 2016 की एचसीआई के मुताबिक, 130 देशों की सूची में भारत 105वें नंबर पर था, जबकि…

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गांवों तक इंटरनेट न पहुंचने के मायने

पिछले दिनों गांधी फेलोशिप प्राप्त कई नौजवानों से मिलने का मौका मिला। इस फेलोशिप के तहत उन्हें यह जिम्मेदारी दी जाती है कि वे गांवों की आधारभूत सामाजिक समस्याओं को समझें और उनका समाधान तलाशें। इन्हीं युवाओं में एक थे अश्विनी तिवारी। बी टेक की डिग्री लिए इस युवा ने इसी वर्ष अपनी फेलोशिप पूरी…

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सूखाग्रस्त इलाके से उम्मीद की किरण

मानसून की दस्तक से पहले तक महाराष्ट्र का लातूर जिला देश का सबसे सूखा प्रभावित क्षेत्र था। तीन-चार साल से यहां का यही हाल है। लातूर में एक सामुदायिक सूचना संसाधन केंद्र है। इस साल जनवरी से इसमें हर रोज 560 लोग डिजिटल साक्षरता के लिए आते हैं, जिनमें से ज्यादातर बच्चे और औरतें हैं।…

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इंटरनेट का अपना संसार बनाता ईरान

यह लेख पहले हिंदुस्तान अखबार में प्रकाशित किया गया था। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्विपक्षीय संबंधों को गति देने ईरान पहुंचे थे। संयोग से, उस समय मैं भी वहां था, और मैंने महसूस किया कि ईरान में आप इंटरनेट का पूरा उपयोग नहीं कर सकते। वहां सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर मनाही है। हालांकि…

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स्मार्टफोन से प्रशासन संभालने की कवायद

देश में कुल मिलाकर 688 जिले हैं। हर जिले का प्रशासन भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर, यानी आईएएस अधिकारी के हवाले होता है, जिसे कहीं जिलाधीश, कहीं जिलाधिकारी, कहीं जिला कलक्टर, तो कहीं जिला मजिस्ट्रेट कहा जाता है। लेकिन हर मामले में उनकी भूमिका और जिम्मेदारियां लगभग समान होती हैं। उन्हें जिले से राजस्व का…

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औपचारिक शिक्षा से बाहर की दुनिया

बाईस साल के मल्हार इंदुल्कर कोंकण क्षेत्र में बहने वाली वशिष्टि नदी के तट पर रहते हैं। जब उन्हें यह पता चला कि वहां का औद्योगिक कचरा नदी के जीव-जंतुओं को नुकसान पहुंचा रहा है, तो उन्होंने ऊदबिलाव के संरक्षण में खुद को झोंक दिया। ऊदबिलाव बीमार मछलियों को खा लेता है, जिससे नदी में…

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अल्पसंख्यकों के लिए जरूरी डिजिटल साक्षरता

समावेशी लोकतंत्र वही है, जो न सिर्फ अल्पसंख्यकों को राजनीतिक रूप से अपने भरोसे में लेने का दावा करता है और उनका यकीन जीतता है, बल्कि वह बदलाव में सक्षम नए कार्यक्रमों की योजना बनाता है और उनको लागू भी करता है। और ये नए कार्यक्रम यथार्थपरक व स्थायी होते हैं। ऐसे उपाय या कार्यक्रम…

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इंटरनेट पर मौजूद मनरेगा का सच

सूचना शिक्षित व अशिक्षित, दोनों को संबल देती है। कई लोगों के लिए इंटरनेट सूचनाओं का सबसे बड़ा कूड़ाघर है। फिर भी कई लोगों के लिए यह कूड़ाघर सशक्तीकरण का स्रोत है। सरकारी गलियारों में सूचना व इंटरनेट एक-दूसरे से अनभिज्ञ होने का खेल खेलते हैं, जो असत्य-सा लगता है। वहीं, आरटीआई के तहत अपनी…

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सामाजिक बदलाव में मोबाइल का साथ

हममें से ज्यादातर लोग सामाजिक बदलाव में मोबाइल की भूमिका को लेकर सजग नहीं हैं। चलिए कुछ उदाहरणों पर गौर करते हैं। बिहार में अनन्या कार्यक्रम के तहत आठ जिलों में ‘मोबाइल कुंजी’ के इस्तेमाल का अनूठा प्रयोग किया गया है। यह पहल बिहार में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वाले कर्मियों की भरपूर मदद…

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आपदा में सामुदायिक रेडियो की अहमियत

अगर आपके पास जानकारी है, तो आप सशक्त हैं और इनके बिना आप अवसरों, अधिकारों और अपनी आजादी से भी वंचित हो सकते हैं। उत्तराखंड त्रासदी में सूचना ही सबसे अधिक आहत हुई, मगर कैसे? हिमालय के ऊपरी इलाकों की सही स्थिति के बारे में हमारे पास लगभग न के बराबर सूचना है। इसमें कोई…

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गांवों में मोबाइल गवर्नेस की जरूरत

तेईस साल की राखी पालीवाल राजस्थान के राजसमंद जिले में उपली-ओदेन पंचायत की उप-प्रमुख हैं। वह एकमात्र चुनी हुई महिला सदस्य हैं, जो बाइक चलाती हैं। सुबह चार बजे उठकर खुले में शौच के खिलाफ महिलाओं को सलाह देती हैं। दिन में लॉ स्कूल जाती हैं और स्मार्टफोन से फेसबुक अपडेट करती हैं। बीते मार्च…

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आदिवासियों तक पहुंचे डिजिटल शिक्षा

आदिवासी समुदायों की रक्षा के लिए असम में साल 1976 में कार्बी आंगलोंग जिले का गठन किया गया। यह असम व संभवत: उत्तर-पूर्व क्षेत्र में सबसे बड़ा जिला है। यहां कार्बी, बोडो, कुकी जैसी जनजातियां बसती हैं। यह जिला देश के 250 अत्यंत पिछड़े जिलों में भी गिना जाता है। 1995 में समावेशी विकास को…

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