हर रोज सुबह कॉफी की महक से ही आधा भारत जागता है। क्या कभी आपने सोचा है कि जिस कॉफी से आपके दिन की शुरुआत होती है, वो कहां से आती है? वो कहीं और देशों से नहीं बल्कि अपने ही देश के दक्षिण का एक जिला कुर्ग से आता है जो पिछले 300 साल से हिंदुस्तानी कॉफी का घर रहा है।
मैसूर से 120 किलोमीटर औऱ केरल सीमा से महज 50 किलोमीटर दूर स्थित एक ऐसी जगह जहां से कभी राम और लक्ष्मण सीता को ढूंढते हुए गुजरे थे। ये वहीं जगह कुर्ग यानि कोडागू है जिसे हम भारत का स्कॉटलैंड के नाम से भी जानते हैं। वैसे कुर्ग का मतलब है -सोती पहाड़ियों पर बसा धुंध जंगल, जिसकी कुदरती नजारा को कोई भी अपनी सांसों में महसूस कर सकता है। 1525 मीटर की ऊंचाई पर बसा कुर्ग दक्षिण भारत का मुख्य हिल स्टेशन भी है, जिसका जिला मुख्याल मदिकेरी में स्थित है। यहां की पहाड़ियों के बीच रुई जैसे बादलों के नीचे, रिमझिम फुहारों का संगीत पहाड़ों के बीच चिड़िया के घोंसले का एहसास दिलाता है। इसके अलावा कुर्ग के पहाड़, हरे-भरे जंगल, चाय और कॉफी के बागान और यहां के लोग मन को लुभाने के लिए काफी हैं। मदिकेरी और उसके आसपास बहुत से ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलें भी हैं जो पर्यटकों को लुभाने का माद्दा रखते हैं।
अगर इतिहास की बात करें तो पाते हैं कि 1600 ईसवी के बाद लिंगायत राजाओं ने कुर्ग पर राज किया और मदिकेरी को राजधानी बनाया, जहां उन्होंने मिट्टी का किला भी बनवाया। लेकिन, 1785 में टीपू सुल्तान की सेना ने इस साम्राज्य पर कब्जा करके यहां अपना अधिकार जमा लिया। 4 साल बाद कुर्ग ने अंग्रेजों की मदद से आजादी हासिल की और राजा वीर राजेन्द्र ने पुर्ननिर्माण का काम किया। और फिर 1834 ई. में अंग्रेजों ने यहां के अंतिम शासक को जेल में डालकर खुद इस जगह पर अपना कब्जा जमा लिया और इस इलाके को कुर्ग का नाम दे दिया। लेकिन, अब इसे बदलकर कोडगु कर दिया गया है, जहां ज्यादातर लोग कुर्गी भाषा बोलते हैं, जिसे स्थानीय लोग कोडवक्तया कोडवा भी कहते हैं। यहां लोगों में एक अलग तरह की खुशमिजाज़ी है, जो आप कुदरत के करीब रहने वाले हर इंसान में देख सकते हैं।
लेकिन, इतनी खूबियों के बावजूद क्या आप यकीन कर सकते हैं कि यहां की 90 फीसदी आबादी बदहाली और बेरोजगारी से दो-चार है। इसके अलावा ये बात और भी हैरान करती है कि जहां पर्यटन की हर खूबी मौजूद हो, लेकिन वहां पर्यटक नहीं जाते। ऐसा इलाका जो एशिया का सबसे ज्यादा कॉफी, चंदन और मसाला उत्पादन करता हो, लेकिन वहां के ज्यादातर लोग पलायन करने को मजबूर हैं।
हालांकि, इसकी कई वजहें हो सकती हैं। उनमें एक बड़ी वजह है कॉफी के मुनाफे की भूख और खेती की आड़ में धड़ाधड़ पेडों की कटाई के साथ-साथ सरकारी उपेक्षा। मालूम हो कि यहां करीब 15 लाख लोगों की जिंदगी इसी कॉफी व्यवसाय पर निर्भर है, जिसमें दूसरे राज्यों से आए मजदूर भी शामिल हैं। वैसे तो यहां की सांस्कृतिक विशिष्टता की वजह से कई बार कर्नाटक में अलग कुर्ग राज्य बनाने की मांग उठती रही है, ताकि इस इलाके का समूचित विकास हो सके। लेकिन, कई राजनीतिक कारणों से नाहिं ये मुमकिन हुआ और नाहिं अब तक वहां कोई बुनियादी सुविधाएं मुहैया हो सकी।
हालात ये हैं कि इस इलाके में एक गांव से दूसरे गांव में जाने के लिए बस के अलावा को सार्वजनिक साधन नहीं है। बच्चों को स्कूल, कॉलेज जाना हो तो उन्हें 30 से 50 किलोमीटर तक सफर करना पड़ता है। इसके बावजूद उन्हें ऐसी शिक्षा या जानकारी नहीं मिल पाती जिससे उन्हें रोजगार पाने में मदद मिल सके। यहीं नहीं इस इलाके के मरीजों को भी अच्छी इलाज के लिए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर मैंगलोर जाना पड़ता है। और ये दूरी तय करने में कम से कम 4 घंटे लगते हैं। और इन सबकी वजह है वहां किसी भी तरह की सरकारी या निजी कोशिश का न होना, जिससे स्थानीय समाज को एक सूचना संपन्न समाज बनाया जा सके।
इसी सिलसिले में डिजिटल एंपावरमेंट फाउंडेशन ने इस जगह पर कुछ ऐसा करने का फैसला किया है ताकि स्थानीय लोगों को एक छत के नीचे हर तरह की जानकारी के साथ-साथ ऐसी तकनीकी शिक्षा मुहैया हो सके जिससे वो अपना कोई रोजगार कर सकें या उन्हें रोजगार पाने में मदद मिल सके। और सब मुमकिन है सीआईआरसी के तहत जो देश के करीब 20 राज्यों के दूर दराज गांवों में सक्रीय है। जहां ग्रामीणों को कंप्यूटर –इंटरनेट शिक्षा के साथ-साथ पंचायत से जुड़ी हर तरह जानकारी मिलती है, जिससे गांववाले आसानी से सरकारी स्कीम का फायदा उठा पाते हैं और देश-दुनिया में हो रही गतिविधियों की भी खबर रखते हैं।
ओसामा मंजर
लेखक डिजिटल एंपावरमेंट फउंडेशन के संस्थापक निदेशक और मंथन अवार्ड के चेयरमैन हैं। वह इंटरनेट प्रसारण एवं संचालन के लिए संचार एवं सूचनाप्रौद्योगिकी मंत्रालय के कार्य समूह के सदस्य हैं और कम्युनिटी रेडियो के लाइसेंस के लिए बनी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यहैं।
इस कॉलम को पढ़ने के लिए क्लिक करें gaonconnection.com