जिन वजहों से केरल आज दुनिया भर में पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना है, वो हैं : वहां का मौसम, समंदर का किनारा, बारिश, पानी से घीरे गांव, घने जंगल और चालीस से अधिक नदियाँ । इसके अलावा यहां की पंचकर्म चिकित्सा पद्धति और विज्ञान और प्रौद्योगिकी की समृद्ध परंपरा भी पर्यटकों को खीचने में अहम रोल अदा करती है। केरल में जहां एक तरफ आयुर्वेद परम्परा काफी पुरानी और समृद्ध है, वहीं गणित, ज्योतिषी, ज्योतिष, धातु विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी केरल का अहम योगदान रहा है ।
हालांकि, ये संसाधन, प्राकृतिक संसाधन औऱ समृद्ध परंपराएं देश के दूसरे राज्यों में भी हैं। लेकिन, वहां पर्यटक इतना आकर्षित नहीं होते, जैसा केरल के लिए होते हैं। कभी आपने गौर किया है कि आखिर इसकी वजह क्या है?
इसकी एक और सिर्फ एक वजह है राज्य सरकार की दूरदर्शिता और तकनीक का भरपूर इस्तेमाल। एक तरफ केरल सरकार ने जहां पर्यटन को बढ़ाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी, वहीं पर्यटन निदेशक की अपनी सूझबूझ के साथ डिजिटल क्रांति की ताकत का भरपूर इस्तेमाल कर राज्य के पर्यटन को विश्व पटल पर लाकर खड़ा कर दिया है। जिसकी वजह से हर साल देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है।
साल 2010 में जहां केरल में 6.59 लाख विदेशी पर्यटक पहुंचे, वहीं 2011 में उनकी संख्या बढ़कर 7.33 लाख हो गई। इसी तरह 2010 में केरल घूमने गए घरेलू पर्यटकों की संख्या 85.95 लाख थी, वहीं उनकी संख्या 2011 में बढ़कर 93.81 लाख हो गई। जिसका नतीजा ये हुआ कि 2010 के मुकाबले 2011 में विदेशी एक्शचेंज आय में भी इजाफा हो गया। 2010 में जहां विदेशी एक्सचेंज आय 3797.37 करोड़ था वहीं 2011 में बढ़कर 4221.99 करोड़ तक पहुंच गया। इस तरह 2011 में पर्यटन से प्रत्यक्ष औऱ परोक्ष रूप में कुल अर्जित राजस्व 19037 करोड़ का आंकड़ा छू लिया, जबकि 2010 में ये मात्र 17348 करोड़ रु. ही था। और पिछले साल भी इसके राजस्व में बढ़ोतरी होती रही।
इंटरनेट युग में आज केरल पर्यटन अपने सभी आयामों में शानदार प्रदर्शन करते हुए विश्व पर्यटन के मानचित्र पर अपनी मौजूदगी मजबूती से दर्ज करा दी है। इसमें सूचना और प्राद्यौगिकी के साथ साथ फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स का भी अहम रोल है। ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से केरल पर्यटन विभाग गांव-गांव में इंटरनेट, मोबाइल कनेक्टिविटी मुहैया करा दी है। यहीं नहीं, राज्य सरकार ने पर्यटकों को हर तरह की सूचना देने के लिए नई मोबाइल तकनीक का सहारा लेने का मन बना रही है। इसी का नतीजा है कि पिछले कुछ सालों में केरल में विदेशी पर्यटकों की रूचि में भारी वृद्धि हुई है।
केरल पर्यटन के निदेशक हरिकिशोर के साथ बातचीत के दौरान ये पता चला कि केरल सरकार अब पर्यटकों को पूरी जानकारी देने के लिए मोबाइल तकनीक को विकसित करने के लिए भी विचार कर रही है। जिसके लिए चेन्नई की धनुष टेक्नॉलॉजी लिमिटेड और केरल राज्य प्राइवेट बस ऑपरेटर फेडरेशन के बीच समझौता हुआ है। जिसके तहत बस सेवा की पूरी जानकारी एसएमएस के जरिए पर्यटकों के मोबाइल पर उपलब्ध हो जाएगी। केरल राज्य की बस सेवा में 85 फीसदी प्राइवेट बस ऑपरेटर्स है और इस सुविधा के लिए राज्य के सभी प्राइवेट बसों में सेटेलाइट आधारित सूचना प्रणाली विकसित की जाएगी।
उदाहरण के तौर पर अगर कोई पर्यटक इडापल्ली से कोच्चि जाना चाहता और उसे बस सुविधा की कोई जानकारी नहीं है। तो ऐसे में उसे घबराने की कोई जरूरत नहीं है, जरूरत है बस उसे एक एसएमएस करने की। महज एक एसएमएस करते ही उसके मोबाइल पर बस नंबर, यात्रा के समय से लेकर बस स्टॉप तक की पूरी जानकारी उसके मोबाइल पर पहुंच जाएगी।
मसलन फिलहाल आपकी बस कहां है, उसकी स्पीड क्या है और आप जिस बस स्टॉप पर खड़े हैं, वहां तक पहुंचने में उसे कितना वक्त लगेगा। केरल में जल्द ही यह सुविधा हकीकत में तब्दील होने वाली है।
साथ ही इस पहल से बसों के बारे में जानकारी उनकी उंगिलयों पर होगी और पर्यटकों को बसों के इंतजार में वक्त गंवाना नहीं पड़ेगा। इसके अलावा जानकारी हासिल करने में पेश आने वाली परेशानियों से भी बच सकेंगे। इससे यात्री सूचना प्रणाली से बस ऑपरेटरों को भी फायदा होगा। मसलन अगर बस खराब या दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है, तो इसके जरिये तुरंत समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।
ऐसे में हमें जरूरत है केरल पर्यटन से सबक लेने की और उसे दूसरे राज्यों के लिए एक मिसाल बनाने की। आज के तकनीक और इंटरनेट युग में उपेक्षित पर्यटन स्थलों की पहचान कर उनकी संस्कृति, कला, हस्तशिल्प और एतिहासिक स्थलों की जानकारी ऑनलाइन होनी चाहिए। इससे न सिर्फ पर्यटक आकर्षित होंगे, बल्कि राजस्व में इजाफे के साथ साथ गांवों का भी विकास होगा। यही नहीं, इससे डॉलर के मुकाबले गिरते रुपए को थामने में भी मदद मिलेगी।
ओसामा मंजर
लेखक डिजिटल एंपावरमेंट फउंडेशन के संस्थापक निदेशक और मंथन अवार्ड के चेयरमैन हैं। वह इंटरनेट प्रसारण एवं संचालन के लिए संचार एवं सूचनाप्रौद्योगिकी मंत्रालय के कार्य समूह के सदस्य हैं और कम्युनिटी रेडियो के लाइसेंस के लिए बनी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यहैं।
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