सभी को नमस्कार,
मैं भरतपुर राजस्थान की रहने वाली हु मेरा नाम अतैया है मेरा एजुकेशन का जो स्तर है वो फैमिली पूरी एडुकेटेड है उसमें कभी कोई दिक्कत नही आई। सिर्फ अगर कही पछपात मिला तो वो लड़के और लड़की के बीच मिला वो भी समाज मे फैमिली में नही मिला और भी बहुत सारे इशू आते है दो धर्मो के बीच आ जाते है या फीमेल या मेल के बीच आ जाते है। तो उनमें मुझे स्कूल की ओर से ही पार्टिसिपेट करने की बहुत ज़्यादा ख़्वाहिश थी। मेरे टीचर हमेशा मुझे आगे रखते थे, इस वजह से मुझे आदत सी हो गयी थी शायद इसी वजह से मैं हर कार्यक्रम में पार्टिसिपेट करती आ रही हूं। जैसे अशिफ़ा हत्याकांड हुआ तो हमने कैंडल मार्च निकाला था जिसमे सभी लड़के थे मैं अकेली लड़की थी। फैमिली की ओर से कुछ इशू आये थे लेकिन मैंने अपने आपको आगे बढ़ने के लिए कदम उठाया। मेरी कहानी यही है कि मैं कविता के माध्यम से अपनी बात को समझाउंगी।
“ना करो बहस हार जाओगे
हुस्न इतनी बड़ी दलील नही”
हाथ की लकीरों और सितारों की चाल और तोते की फाल पढ़ कर फेकने वाले दलाइल पेश करने के बजाय हमे किस्से और कहानियां सुनाएंगे लेकिन मैं ये कहती हूं कि ” कामयाबी किस्मत से नही मेहनत से मिलती है”
क्यो की इंसान चांद पर कदम रखने में कामयाब हुए तो वजह किस्मत नही मेहनत थी, इंसान लाखो टन वजन को हवा में उड़ाने में कामयाब हुआ तो वजह किस्मत नही मेहनत थी। जिस तरह से डिजिटल एम्पॉवरमेंट फाउंडेशन आज जिस मुकाम पर पहुचा है तो वजह ओसामा सर की किस्मत नही मेहनत थी। क्यो की ओसामा सर ने डिजिटल एम्पॉवरमेंट फाउंडेशन की नींव रखी तो ना जाने सर ने कितना त्याग किया होगा और इसी कारण डिजिटल एम्पोवेर्मेंट फाउंडेशन इस रूप में उभर के आया है।
“क्यो की फूल यूँही खिला नही करते
बीज़ को दफ़न होना पड़ता है”
खुदा ने हमे इंसान के रूप में जन्म दिया है तो कुछ ऐसे कर्म करो कि हमारे जाने के बाद भी ये दुनिया हमे याद करे और हमारा ख़ुदा भी उससे राज़ी हो क्योंकि
“ठिकाना कब्र है,कर्म कुछ तो कर इंसान रिवायत ये है कि,खाली हाथ किसी के घर जाया नही करते”
और आज के दौर में इंसान पैसे के पीछे अधिक दौड़ रहा है।
कोई दौलत के चाह में रोया
कोई दौलत के राह में रोया
अजीब है ये दौलत-ए- मोहबत का सिलसिला
कोई दौलत खो कर रोया तो कोई दौलत पा कर रोया।
और अगर हमें अपनी मंज़िल मिल भी जाये तो भी मंज़िल से आगे बढ़कर तलाश कर
मिल जाये तुझको दरिया तो समंदर तलाश कर,
हर शीशा टूट जाता है पत्थर की चोट से
पत्थर ही टूट जाए वो शीशा तलाश कर
सजदों से तेरे क्या हुआ सादिया गुजर गयी
दुनिया तेरी बदल दे वो सजदा तलाश कर।