क्या आप जानते हैं दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की जीत का राज? ‘आप’ वहीं पार्टी है जिसने देश के युवाओं को ही नहीं, दुनिया भर में रह रहे भारतीय युवाओं को भी अपना दिवाना बना दिया है। और ये सब हुआ सिर्फ और सिर्फ सोशल मीडिया की वजह से।
क्योंकि आम आदमी पार्टी के मुखिया केजरीवाल की कई रणनीतियों में से एक सोशल मीडिया भी थी, जिसके जरिए उन्होंने लोगों तक अपनी बात पहुंचाई और एकजुट किया। विधानसभा चुनावों के नतीजों ने साबित कर दिया है कि अब सोशल मीडिया भी भारतीय राजनीति का बेहद अहम हिस्सा बन चुका है। इसे नजरअंदाज करना अब किसी के लिए भी आसान नहीं होगा।
हालांकि, आम आदमी पार्टी को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में कहानी कोई ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी और नाहिं दूसरी पार्टियों की तरह खाता खोलने में 10 साल लगे। बात बस इतनी थी कि केजरीवाल की टीम ने सोशल मीडिया की ताकत को बखूबी समझा और एक खास रणनीति के तहत इसका पूरा इस्तेमाल किया। और ये सब सिर्फ पांच लोगों की एक छोटी सी टीम ने किया, जिसका सिर्फ एक ही मकसद था कि वो सोशल मीडिया के जरिए लोगों को जोड़ने की मुहीम जारी रखे। और इस टीम ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात को लोगों तक लगातार पहुंचाती रही। जिसका नतीजा था कि चुनाव प्रचार के लिए किसी के दरवाजे पर ‘आप’ की टीम के पहुंचने से पहले सोशल मीडिया ये टीम अपनी बात उनलोगों तक पहुंच चुकी होती थी। यही नहीं, कोर टीम के साथ-साथ देश भर में दस अलग-अलग जगहों पर भी सोशल मीडिया टीम सक्रिय थी। और ट्विटर टीम से 200 से ज्यादा स्वयंसेवक भी सीधे तौर पर जुड़े होते थे।
हालांकि, केजरीवाल की टीम ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ अपनी बात लोगों तक ही पहुंचाने के लिए ही नहीं किया, बल्कि दूसरी पार्टियों की खबर भी चुनाव आयुक्त तक पहुँचाया। जिसका नतीजा ये हुआ कि अकसर मतदान से ठीक पहले खुलेआम बंटने वाले शराब और पैसे की रीति को इस बार लगाम लग गई।
मालूम हो कि विधानसभा चुनाव से पहले एक सर्वे और रिसर्च के आधार पर मैंने अपने लेख में कहा था कि इस बार चुनाव में सोशल मीडिया का अहम रोल हो सकता है। और आखिरकार ये अब सबके सामने है जो अब तक इसका कोई मिसाल देखने को नहीं मिला था। ऐसे में सोशल मीडिया के सफल प्रयोग को देखते हुए अगले कुछ दिनों में सभी राजनीतिक पार्टियां इसके प्रति और भी गंभीर होगी और साइबर जगत में अपनी उपस्थिति प्रभावी तरीके से दर्ज कराएंगी। मुमकिन है कि 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया पर सक्रिय लोग किसी सियासी दल, विचार या नेता के पक्ष में राय बनाने में खास भूमिका निभा सकते हैं।
आज की तारीख में फेसबुक पर केजरीवाल के 12 लाख से ज्यादा और ट्यूटर पर 807558 फॉलोअर हैं। उसी तरह दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के फेसबुक पर 1 लाख से ज्यादा और ट्यूटर पर 900 फॉलोअर हैं। जबकि, भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार डा. हर्षवर्धन के फेसबुक पर 69 हजार से ज्यादा और ट्यूटर पर 22733 फॉलोअर हैं।
इसी तरह अगर हम मिसाल के तौर पर किसी एक राज्य की बात करें तो हम पाते हैं कि वहां भी सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जो किसी भी पार्टियों के लिए चुनाव में हवा का रुख बदलकर चुनौती खड़ा कर सकते है। ऐसे में हाल ही प्रकाशित उत्तराखंड टुडे के एक सर्वे को सही मानें तो सोशल मीडिया पर उत्तराखंड में दस लाख से ज्यादा यूजर्स हैं। इनमें से ज्यादातर टिहरी गढ़वाल और हरिद्वार संसदीय सीटों पर है। ऐसे में इन दोनों सीटों (टिहरी और हरिद्वार) पर सोशल मीडिया का रोल अहम हो सकता है और इसका असर पौड़ी, अल्मोड़ा और नैनीताल संसदीय सीटों पर भी पड़ सकता है।
आंकड़े बताते हैं कि टिहरी संसदीय क्षेत्र में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले सबसे अधिक 4,11,820 लोग हैं। इसके बाद नैनीताल संसदीय क्षेत्र में 1,95,900 लोग है और तीसरे नंबर पर हरिद्वार संसदीय सीट है, जहां 1,89,460 लोग हैं। जबकि पौड़ी गढ़वाल सीट पर 74,740 और अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र में 76,200 लोग फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। इससे साफ जाहिर है कि सोशल मीडिया का ज्यादा असर पहली 3 सीटों पर देखने को मिल सकता है।
कुल मिलकार देखें तो पता चलता है कि हर राज्य में 2-4 संसदीय क्षेत्र सोशल मीडिया से प्रभावित जरूर होगा। हाल ही प्रकाशित इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट ने भी खुलासा किया था कि साल दिसंबर 2013 तक भारत में सोशल मीडिया के 91 मिलियन यूजर्स हो जाएंगे, जो जून के मुकाबले 17 फीसद ज्यादा है।
गौरतलब है कि रोजाना भारत में सौ मिलियन लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें से 40 मिलियन ब्रॉडबैंड इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि अब धीरे-धीरे सोशल मीडिया टीवी और बाकी सभी ट्रेडिशनल मीडिया से ज्यादा प्रभावशाली बन चुका है।
ओसामा मंजर
लेखक डिजिटल एंपावरमेंट फउंडेशन के संस्थापक निदेशक और मंथन अवार्ड के चेयरमैन हैं। वह इंटरनेट प्रसारण एवं संचालन के लिए संचार एवं सूचनाप्रौद्योगिकी मंत्रालय के कार्य समूह के सदस्य हैं और कम्युनिटी रेडियो के लाइसेंस के लिए बनी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यहैं।
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