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आजादी मिली तो भारत अंग्रेजो से आजाद हुआ। देखते ही देखते भारत विकास की राह पर चल पड़ा। धीमी ही सही विकास की गाड़ी चल पडी मंजिल की ओर। गांवो और शहरों ने एक साथ चलना शुरू किया, लेकिन न जानें क्यों इस तेज रफ्तार दौड़ में गांव शहरों से पिछड़ गए। लेकिन, इन दिनों इंडिया और भारत के बीच की इस खाई को पाटने का काम कर रही है डिजिटल डिवाइस। मोबाइल और आधुनिक तकनीकों का जिस तेजी से इंडिया इस्तेमाल कर रहा है उस अनुपात में तो नहीं, पर उम्मीद के मुताबिक गांवों से भी साकारात्मक नतीजे मिल रहे है। अगर मोबाइल, कैमरे, टेलीविजन शहरी भारत यानि इंडिया में पूरी तरह आम है, तो अब गांवो में भी अच्छे खासे लोग इसका इस्तेमाल करने लगे है। साथ ही मीडिया पर भी डिजटिल मीडियम का प्रभाव बढ़ने लगा है। जैसे जैसे डिजिटल डिवाइसेज का प्रयोग बढ़ रहा है वैसे-वैसे पारंपरिक मीडिया जैसे अखबार और टेलीविजन अब डिजिटल डिवाइसेज की ओर शिफ्ट हो रहे हैं।
पिछले साल न्यूजवीक ने ये घोषणा की कि यह अपना अंतिम प्रिंट संस्करण 31 दिसम्बर को छापेगा। इस साप्ताहिक मैगजीन ने अपना निर्णय इस आधार पर लिया कि 5 मेंसे2 अमेरिकी नागरिक मोबाइल डिभाइस पर समाचार पढते हैं। क्या यही संकेत फैसले का आधार था?
अगर भारत की बात करें तो, यहां सिर्फ 1 प्रतिशत जनता वास्तविक रूप से डिजिटल डिभाइस पर आधारित सूचना पर पूरी तरह आदतन जुड़ी है। तो क्या इसका मतलब है कि भारत पूरी तरह डिजिटल होने से काफी दूर है? मेरे अनुभवों के मुताबिक- बिल्कुल नहीं। भारत काफी तेजी से डिजिटल टेक्नॉलॉजी अपना रहा है और बडी संख्या में लोग डिजिटल जीवनशैली को अपना भी रहे हैं।
पिछले साल भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) ने14 राज्यों के साथ पंचायत स्तर पर राष्ट्रीय ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क बिछाने का ठेका लिया था जो कि गाँव की पंचायत भवन तक जानी है ताकि 100 एमबीपीएस (मेगा बाइटस्प्रति सेकण्ड) ब्रॉडबैण्ड लाइन सभी गाँवों व घऱों तक पहुंचाई जा सके । टेलिकॉम विभाग द्वारा बनाई गई इंकाई बीबीएनएल इसी मकसद के लिए बनी है ताकि2013 तक सारे2,50,000 पंचायतों तक हाई-बैण्डविड्थ ब्रॉडबैण्ड लाइन बिछाई जा सके । ये भारत सरकार की एक अत्यंत महत्वाकांक्षी परियोजना है ताकि आम लोगों तक सूचना को पहुँचाई जा सके । यकीनन यह परियोजना किसी सूचना के अधिकार, ग्रामीण रोजगार योजनाया नेशनल हाईवे जैसे लोकप्रीय परियोजनाओं से किसी भी मायने में ज्यादा प्रभाव डालने वाला है ।
हाल ही में, डिजिटल एम्पावरमेण्ट फाउण्डेशन के 3 जगहों पर किये गये बेसलाइन सर्वे के मुताबिक 80 प्रतिशत लोग इंटरनेट से जुडना चाहते हैं, ताकि उन्हें अच्छा मनोरंजन, शिक्षा से संबंधित सूचना व यहाँ तक की सरकारी सेवाओं तक मिल सके।
इस बात को अगर ध्यान में रखें कि भारत में 90 करोड़ मोबाइल फोन कनेक्शन हैं, तो यकीनन उसे इस्तेमाल करने वालों की संख्या 60 करोड़ से कम नहीं होगी। इसी आंकड़े के आधार पर हम जरूर कह सकते हैं कि देश में 37 करोड़ 50 लाखघरों में कम से कम एक मोबाइल यानि हर घर में कोई न कोई डिजिटल गैजेट जरूर होगा।
अगर किसी वजह से बीबीएनएल की परियोजना में देरी भी होती है तो भार तके पंचायतों में100 एमबीपीएस की ब्रॉडबैण्ड लाइन कनेक्शन 2015 तक जरूर पहुँचजायेगी । जिसके बाद देश का आम आदमी भी इंटरनेट के इस्तेमाल करने वालों में शामिल हो जाएगा और इस तरह पूरा देश अनुमान से पहले ही डिजिटल युग में प्रवेश कर जायेगा।
ओसामा मंजर
डिजिटल एंपावरमेंट फाउंडेशन
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