गांवों की दहलीज पर डिजिटल मीडिया की दस्तक

13 मार्च 2013, यानि रेड रिक्शा रेवलूशन यात्रा के पांचवे दिन जब मुझसे 23 साल की राखी पालीवाल का परिचय एक उप-सरपंच के तौर पर कराया गया तो मैं हैरान रह गया। जींस औऱ कुर्ते में मोटरसाइकिल की सवारी करते देख राखी को पहली नजर में कोई भी शहरी लड़की समझने की भूल कर बैठेगा।…

‘अब ‘की-बोर्ड’ पर थिरकती हैं, नोरती बाई की उंगलियां’

करीब 20 साल पहले भारत में कंप्यूटर युग का सपना देखा गया था। यह सपना कुछ हद तक तो पूरा जरूर हुआ है, लेकिन देश के हर नागरिक के लिए यह सपना पूरा होने में अभी कुछ और वक्त लगेगा। जहां देश की शहरी आबादी का बड़ा हिस्सा कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहा है, वहीं…

मदरसों का हाईटेक होना अब वक्त की जरूरत

भारत के 15 फीसदी से ज्यादा लोग मुसलमान हैं। संख्या के हिसाब से इंडोनेशिया के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम भारत में रहते हैं। इनमें शहरीकरण का प्रतिशत भी सामान्य आबादी से ज्यादा है, लेकिन अफसोस इस बात का है कि इनमें साक्षरता की दर अन्य वर्गों की अपेक्षा कम है। देश की कुल मुस्लिम आबादी…

डिजिटल पंचायत बदल सकती ‘असली भारत’ की तस्वीर

121 करोड़ की आबादी वाला देश जहां आधी से ज्यादा आबादी गांवों में रहती हैं, जिसे हम असली भारत के नाम से भी जानते हैं। करीब 83 करोड़ यानी कुल आबादी का 69 प्रतिशत इसी असली भारत में रहती है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि भले ही देश के शहरों में आबादी तेजी…

एनजीओ के डिजिटलीकरण से ही बढ़ सकती है विकास की रफ्तार

बापू ने एक बार गांवों के विकास में स्वयंसेवी प्रयासों की भूमिका को यह कहकर प्रोत्साहित किया था कि ‘राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक दायित्व’ भी आवश्यक है।’ आज भले ही हम राजनीतिक स्वतंत्रता हासिल कर चुके हों, लेकिन विडंबना यही है कि परोपकार का जो काम कभी भारतीय समाज में नैतिक जिम्मेदारी समझ कर…

देश की प्रगति के लिए ‘बिमला देवी’ जैसी कई महिलाओं की जरूरत

भारत में नारी का स्थान हमारे शास्त्रो में तो बहुत अच्छा है, लेकिन, जहां तक मेरा अनुभव है, असल जिंदगी में  ये बिलकुल अलग है।  मैंने अपने आसपास ऐसी  कई महिलाओं को देखा है, जिन्हें अपने अधिकार तक नहीं पता है, उनकी पूरी जिंदगी  एक चार दिवारी में कैद हो कर रह गई है। उन्हें अपने घर के अलावा कुछ…