डेंगू पर काबू के लिए तकनीक के साथ-साथ जागरुकता जरूरी

किसी ज़माने में मलेरिया बेहद खतरनाक बीमारी मानी जाती थी। जिसकी वजह से करीब 3 साल पहले यानी साल 2010 में दुनिया भर में 6 लाख 60 हज़ार लोगों की मौत हुई थी। लेकिन, आज नई तकनीक और दवाओं की खोज के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता के चलते मलेरिया का खौफ लोगों के मन से निकल…

इंटरनेट पर मौजूद मनरेगा का सच

सूचना शिक्षित व अशिक्षित, दोनों को संबल देती है। कई लोगों के लिए इंटरनेट सूचनाओं का सबसे बड़ा कूड़ाघर है। फिर भी कई लोगों के लिए यह कूड़ाघर सशक्तीकरण का स्रोत है। सरकारी गलियारों में सूचना व इंटरनेट एक-दूसरे से अनभिज्ञ होने का खेल खेलते हैं, जो असत्य-सा लगता है। वहीं, आरटीआई के तहत अपनी…

‘मंथन’ का एक दशक और सूचना क्रांति

माना कि गांवों में कंप्यूटर और ब्रॉडबैंड आज भी एक चुनौती बनी हुई है, लेकिन इंटरनेट के क्षेत्र में जिस तरह भारत लगातार आगे बढ़ रहा है वो काफी सराहनीय है। सन् 2000 के झटके के बाद इंटरनेट और वेब की दुनिया ने खुद को संभालते हुए जो परिपक्वता दिखाई उसका नतीजा सबके सामने है।…

अब चुनाव के नतीजों पर भी दिखेगा सोशल मीडिया का असर

अब तक इक्कीसवीं सदी में पहुंचने का मतलब हम कंप्यूटर युग में प्रवेश को मानते थे। लेकिन, इक्कीसवीं सदी अब कंप्यूटर और माउस को दरकिनार कर स्मार्टफोन और टैबलेट के जरिए देखी जा रही है। इसका उदाहरण बीते पिछले 1-2 साल में हुए कुछ देशव्यापी आंदोलनों के रूप में हमें देखने को मिला। जिसमें स्मार्टफोन,…

‘सोशल मीडिया’ से मिला सुपीपी को ‘सोशल पावर’

आमतौर पर मीडिया कहते ही सबसे पहले जेहन में अख़बार-मैगज़ीन या टेलीविजन-रेडियो का ख़्याल आता है। लेकिन, मीडिया का दायरा यहीं तक सीमित नहीं है। मीडिया में सबसे पहले प्रिंट मीडिया यानी अख़बार, मैगज़ीन, और सरकारी दफ़्तरों से निकलने वाले पत्र-पत्रिकाओं का आते हैं। इनके बाद रेडियो यानी आकाशवाणी का नंबर आता है। फिर, दूरदर्शन…

अब कंप्यूटर की की-बोर्ड पर थिरकती हैं ग्रामीणों की उंगलियां !

आज के इंटरनेट युग में किसी भी विकासशील देश की आर्थिक प्रगति उसकी युवा शक्ति और गांवों के विकास पर निर्भर होती है। जैसे जैसे वो तरक्की करता है वैसे-वैसे देश की अर्थव्यवस्था में उसका योगदान बढ़ता चला जाता है। ठीक इसी प्रकार, भारत जैसे विकासशील देश की भी यही कहानी है। इसकी अनेकता में…