13 मार्च 2013 का वो दिन आज भी मुझे याद है जब रेड रिक्शा रेवलूशन यात्रा के दौरान पहली बार उपली ओदन की उपसरपंच से मेरी मुलाकात हुई थी। जींस औऱ कुर्ते में मोटरसाइकिल पर सवार उपसरपंच राखी पालीवाल को देख थोड़ी देर के लिए हैरान हो गया था। पहली नजर में तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि वो राजस्थान के एक छोटे से गांव की महिला उपसरपंच है।
वैसे भी आमतौर पर गांवों में महिला सरपंच का पूरा काम उसका पति करता है या फिर उसका पिता। लेकिन, राखी के साथ ऐसा नहीं था। बतौर उपसरपंच राखी खुद ही हर मुद्दे को अंजाम तक पहुंचाती है और लोगों की हक के लिए भी लड़ती है। आज राखी ने वो सबकुछ कर दिखाया है जो हर एक समर्पित समाज सेवी का सपना होता है।
दरअसल, राखी पालीवाल, शायद भारत की सबसे कम उम्र की और एक मात्र लॉ की पढ़ाई करनेवाली उप-सरपंच है, जिसने इंटरनेट की महत्ता को बखूबी समझा है। सूचना क्रांति के इस युग में इंटरनेट के माध्यम से राखी ने वो सब हासिल कर चुकी है, जो शहरों में बैठे लोग आसानी से हासिल कर लेते हैं। यही नहीं राखी ग्रामीणों से प्राप्त शिकायतों एवं समस्याओं को जिला कलक्टर और दूसरे अधिकारियों को भी इंटरनेट के माध्यम से भेजती है।
इसके अलावा महिलाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने व उन्हें जागरूक करने के मकसद से कई और भी महत्त्वपूर्ण कार्य किए हैं। इसी कड़ी में राखी पालीवाल ने 21 दिसंबर 2013 को सामुदायिक सूचना संसाधन केंद्र की शुरुआत की, ताकि पंचायत के लोगों को कंप्यूटर और इंटरनेट शिक्षा मुहैया हो सके और विकास की मुख्य धारा से जोड़कर उनकी तकदीर बदल सके।
वैसे तो गांव की तकदीर बदलने का फैसला राखी ने तो उसी दिन कर लिया था, जब उसे स्कूल में एक प्रतियोगिता के दौरान एक पर्ची मिली थी, जिसमें लिखा था, ‘अगर आप सरपंच होते तो क्या करते?’
इसी सपने को सच साबित करने के लिए राखी को काफी जद्दोजेहद करनी पड़ी। पुरुष प्रधान समाज में एक औरत को घर से बाहर निकलकर मर्दों से बराबरी करना ग्रामीण समाज में किसी गुनाह से कम नहीं था। हालांकि राखी को इस काम से रोकने के लिए माता-पिता ही नहीं गांववालों ने भी समझाने की कोशिश की। लेकिन, राखी ने किसी की नहीं सुनी औऱ फिर एक दिन राखी पालीवाल चुनाव जीतकर पंचायत की उप सरपंच बन गई।
जुझारू व्यक्तित्व वाली राखी ने आज ना सिर्फ युवाओं में बल्कि विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं और युवतियों में एक नई चेतना शक्ति का संचार किया है। गांव में रहकर भी राखी सोशल मीडिया के साथ-साथ हर नई तकनीकों का सहारा लेती है, ताकि वो दूरदराज बैठे लोगों तक आसानी से अपनी बात पहुंचा सके। राखी की कोशिश और दूरदर्शिता की बदौलत ही आज उपली ओदन पंचायत पूरा जिले का तकनीकी रूप से सबसे सक्षम पंचायत बन चुका है। जहां पंचायत समिति का हर सदस्य अपने काम के लिए कंप्यूटर औऱ इंटरनेट का इस्तेमाल करता है। खुद राखी पालीवाल हर वक्त मोबाइल पर सोशल मीडिया के जरिए लोगों के संपर्क में रहती है।
मालूम हो कि देश में 2 लाख 45 हजार 5 सौ 25 पंचायत कार्यालय हैं। इनमें 525 जिला पंचायतों के, 6 हजार 2 सौ 99 ब्लॉक पंचायतों के और 2 लाख 38 हजार 644 ग्राम पंचायतों के कार्यालय हैं। पंचायती राज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक से इनमें से सिर्फ 58 हजार 291 के पास ही कंप्यूटर हैं। इनमें राखी पालीवाल की पंचायत ओपली ओडन भी एक है।
और अब सामुदायिक सूचना संसाधन केंद्र की शुरुआत होने से राखी को पूरा यकीन है कि वो अपने पंचायत के लोगों को डिजिटल संसाधनों के माध्यम से सूचना संपन्न के साथ-साथ और भी सशक्त बना सकती है। इस केंद्र पर कंप्यूटर औऱ इंटरनेट शिक्षा, प्रिंटिंग, स्कैनिंग, पासपोर्ट फोटो के अलावा गांव के लोग पंचायत से जुड़ी हर तरह की जानकारी की हासिल कर सकते है। यही नहीं इस केंद्र पर ग्रामीणों के लिए जल्द ही ई-मित्र सेवा की सुविधा भी शुरू होने वाली है, ताकि गांव के लोग एक ही जगह पर जाति प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र या फिर कोई भी अन्य सरकारी दस्तावेज हासिल कर सकेंगे। यानि एक छत के नीचे कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से हर सुविधा।
हालांकि सीआईआरसी जैसी ये सुविधा ओपली ओडन में पहला नहीं है। इससे पहले भी देश के करीब 20 राज्यों में डिजिटल एंपावरमेंट फाउंडेशन द्वारा संचालित 32 ऐसे सामुदायिक सूचना संसाधन केंद्र हैं जहां ग्रामीणों को कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से हर तरह की सुविधा मिलती है। आनेवाले दिनों में 40 और नए सीआईआरसी की योजना है, कंप्यूटर और इंटरनेट शिक्षा के अलावा रोजगार पाने के लिए इंग्लिश जैसी शिक्षा और जरूरी ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
ओसामा मंजर
लेखक डिजिटल एंपावरमेंट फउंडेशन के संस्थापक निदेशक और मंथन अवार्ड के चेयरमैन हैं। वह इंटरनेट प्रसारण एवं संचालन के लिए संचार एवं सूचनाप्रौद्योगिकी मंत्रालय के कार्य समूह के सदस्य हैं और कम्युनिटी रेडियो के लाइसेंस के लिए बनी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यहैं।
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