रूढ़ियों को तोड़ रहीं डिजिटल महिलाएं

यह लेख पहले हिंदुस्तान अखबार में छपा था| पिछले दिनों मेरी मुलाकात लिपिका से हुई। वह असम के सोनापुर की हैं। स्कूली शिक्षा के लिए उन्हें जद्दोजहद तो करनी ही पड़ी, कॉलेज में दाखिला लेने के लिए भी माता-पिता को खूब मनाना पड़ा। कुछ वर्षों पहले उनकी नजर सामुदायिक सूचना संसाधन केंद्र (सीआईआरसी) पर पड़ी।…

ताकि डिजिटल भविष्य से मजदूर न रहें दूर

यह लेख पहले हिंदुस्तान अखबार में छपा थाI हरेक देश में प्रतिभाओं के विकास और उसकी आर्थिक तरक्की की क्षमताओं के आकलन के लिए वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने एक मानक तंत्र ‘ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स’ (एचसीआर्ई) अपनाया है। साल 2016 की एचसीआई के मुताबिक, 130 देशों की सूची में भारत 105वें नंबर पर था, जबकि…

गांवों तक इंटरनेट न पहुंचने के मायने

पिछले दिनों गांधी फेलोशिप प्राप्त कई नौजवानों से मिलने का मौका मिला। इस फेलोशिप के तहत उन्हें यह जिम्मेदारी दी जाती है कि वे गांवों की आधारभूत सामाजिक समस्याओं को समझें और उनका समाधान तलाशें। इन्हीं युवाओं में एक थे अश्विनी तिवारी। बी टेक की डिग्री लिए इस युवा ने इसी वर्ष अपनी फेलोशिप पूरी…