‘ई-हेरिटेज बतायेगा ऐतिहासिक धरोहरों का इतिहास’
पिछले हफ्ते मैंने अपने लेख में जिक्र किया था कि कैसे हमारे पुर्वजों की अनमोल विरासत बचाई जा सकती है।
पिछले हफ्ते मैंने अपने लेख में जिक्र किया था कि कैसे हमारे पुर्वजों की अनमोल विरासत बचाई जा सकती है।
यूं तो अकसर छोटे शहरों और गांवों में अंग्रेजी को लोग नजरंदाज कर देते हैं, जिसकी वजह से वह न शुद्ध अंग्रेजी बोल सकते हैं न वो लिख सकते हैं। आधुनिक भारत में अहम मौकों से महरूम होने की ये भी एक अहम वजह है। आज हमारे समाज में विशेष शैक्षिक संस्थानों तक किसी शख्स…
जहां देश भर में लोकसभा चुनाव की सर्गरमी तेज है, वहीं दूसरी तरफ घोषणाओं और वादों का पिटारा भी खुल चुका है। लेकिन, हर बार की तरह इस बार भी किसी में विकास की कोई छटपटाहट नहीं है। अगर, इस चुनाव में कुछ नया है तो वो है सूचना और तकनीक का भरपूर इस्तेमाल। 9…
देश भर में आम चुनाव की घोषणा होते ही माहौल बदला-बदला सा नजर आने लगा है। कहीं एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ तो कहीं किसी खास समुदाय का हितैसी बताने की होड़। इसी होड़ में कहीं ऐसा गुमनाम इलाका भी है जहां के लोग चुनावी गहमागहमी से बेखबर हर रोज की तरह अभावों…
दुनिया भर में सूचना क्रांति को नई दिशा देने में भारत का जो योगदान रहा है उसे देखते हुए दुनिया के लोगों में ये सोच बन गई है कि भारत के ज्यादातर शिक्षित युवा आईटी के क्षेत्र में अच्छा-खासा ज्ञान रखते होंगे। हालांकि इसके पीछे सच्चाई कुछ और ही है। दरअसल सूचना प्रौद्योगिकी में भारत…
ये बात सच है कि आज का समाज सूचना का समाज है। सूचना तकनीक ही एक ऐसाक्षेत्र है जिसमें भारत दुनिया के अग्रणी देशों के साथ क़दम से क़दम मिलाकर आगे बढ़ रहा है। आज भारत में करीब पांच करोड़ लोग ऑनलाइन हैं और और करीब सात करोड़ लोग किसी न किसी रूप में सर्च…
आजकल अकसर हमें कहीं न कहीं विज्ञान और तकनीक से इस्लाम का टकराव देखने को मिल जाता है। दूर-दराज गांवों में कई बार मुस्लिम समुदाय विज्ञान और तकनीक को गैर-इस्लामी तक करार देते हैं। ऐसे में कई जगहों पर ऐसी सोच भी बनने लगी है कि इस्लाम विज्ञान और तकनीक को तरक्की का जरिया नहीं बनाया…
हर रोज सुबह कॉफी की महक से ही आधा भारत जागता है। क्या कभी आपने सोचा है कि जिस कॉफी से आपके दिन की शुरुआत होती है, वो कहां से आती है? वो कहीं और देशों से नहीं बल्कि अपने ही देश के दक्षिण का एक जिला कुर्ग से आता है जो पिछले 300 साल…
खूंखार हुआ ‘हेलन’, खतरे में विशाखापट्टनम…..ये वो लाइन थे जो पिछले साल नवंबर में हर टेलीविजन चैनल, अखबार में छाए हुए थे। क्या आप जानते हैं इस खबर का कितना असर हुआ था? इस खबर का असर इस कदर हुआ कि समुद्री तट पर रहने वाली पूरी आबादी घर बार छो़ड़ किसी सुरक्षित ठिकाने पर…