अब गांव की मिट्टी में भी घुलेंगे अंग्रेजी के ‘बोल’

यूं तो अकसर छोटे शहरों और गांवों में अंग्रेजी को लोग नजरंदाज कर देते हैं, जिसकी वजह से वह न शुद्ध अंग्रेजी बोल सकते हैं न वो लिख सकते हैं। आधुनिक भारत में अहम मौकों से महरूम होने की ये भी एक अहम वजह है। आज हमारे समाज में विशेष शैक्षिक संस्थानों तक किसी शख्स…

चुनाव के बहाने ही सही, नई तकनीक से रूबरू हो रहे हैं गांववाले

जहां देश भर में लोकसभा चुनाव की सर्गरमी तेज है, वहीं दूसरी तरफ घोषणाओं और वादों का पिटारा भी खुल चुका है।  लेकिन, हर बार की तरह इस बार भी किसी में विकास की कोई छटपटाहट नहीं है। अगर, इस चुनाव में कुछ नया है तो वो है सूचना और तकनीक का भरपूर इस्तेमाल। 9…

नजरे इनायत से महरूम जरदोजी, बोले-

देश भर में आम चुनाव की घोषणा होते ही माहौल बदला-बदला सा नजर आने लगा है। कहीं एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ तो कहीं किसी खास समुदाय का हितैसी बताने की होड़। इसी होड़ में कहीं ऐसा गुमनाम इलाका भी है जहां के लोग चुनावी गहमागहमी से बेखबर हर रोज की तरह अभावों…

आईटी के क्रांति युग में अंग्रेजी बन सकती है सफलता की सीढ़ी

दुनिया भर में सूचना क्रांति को नई दिशा देने में भारत का जो  योगदान रहा है उसे देखते हुए दुनिया के लोगों में ये सोच बन गई  है कि भारत के ज्यादातर शिक्षित युवा आईटी के क्षेत्र में अच्छा-खासा ज्ञान रखते होंगे। हालांकि इसके पीछे सच्चाई कुछ और ही है। दरअसल सूचना प्रौद्योगिकी में भारत…

सूचना-संपन्न समाज निर्माण के लिए शैक्षिक-तकनीक पर तवज्जो जरूरी

ये बात सच है कि आज का समाज सूचना का समाज है। सूचना तकनीक ही एक ऐसाक्षेत्र है जिसमें भारत दुनिया के अग्रणी देशों के साथ क़दम से क़दम मिलाकर आगे बढ़ रहा है। आज भारत में करीब पांच करोड़ लोग ऑनलाइन हैं और और करीब सात करोड़ लोग किसी न किसी रूप में सर्च…

तकनीक से टकराव नहीं, उसे आत्मसात करने की जरूरत

आजकल अकसर हमें कहीं न कहीं विज्ञान और तकनीक से इस्लाम का टकराव देखने को मिल जाता है।  दूर-दराज गांवों में कई बार मुस्लिम समुदाय विज्ञान और तकनीक को गैर-इस्लामी तक करार देते हैं। ऐसे में कई जगहों पर ऐसी सोच भी बनने लगी है कि इस्लाम विज्ञान और तकनीक को तरक्की का जरिया नहीं बनाया…

कहीं दूसरा ‘विदर्भ’ न बन जाए ‘कुर्ग’

हर रोज सुबह कॉफी की महक से ही आधा भारत जागता है। क्या कभी आपने सोचा है कि जिस कॉफी से आपके दिन की शुरुआत होती है, वो कहां से आती है? वो कहीं और देशों से नहीं बल्कि अपने ही देश के दक्षिण का एक जिला कुर्ग से आता है जो पिछले 300 साल…

मछुआरों को टीवी से नहीं अब सीआईआरसी से मिलेगी मौसम की जानकारी

खूंखार हुआ ‘हेलन’, खतरे में विशाखापट्टनम…..ये वो लाइन थे जो पिछले साल नवंबर में हर टेलीविजन चैनल, अखबार में छाए हुए थे। क्या आप जानते हैं इस खबर का कितना असर हुआ था? इस खबर का असर इस कदर हुआ कि समुद्री तट पर रहने वाली पूरी आबादी घर बार छो़ड़ किसी सुरक्षित ठिकाने पर…