om-150x150Osama Manzar is the Founder-Director of Digital Empowerment Foundation and Chair of Manthan and mBillionth Awards. He is member, advisory board, at Alliance for Affordable Internet and has co-authored NetCh@kra–15 Years of Internet in India and Internet Economy of India. He tweets @osamamanzar. Manzar’s complete bio can be read here.

नए युग में ‘डिजिटल इंडिया कैंपेन’ से काफी उम्मीदें

ठीक एक दशक पहले भारत में अगर लोगों को अपने विधायक या सांसद से मिलना होता था तो उन्हें कम से कम पांच साल यानी अगले चुनाव का इंतजार करना होता था। लेकिन, शुक्र है इंटरनेट और तकनीक का, जिसकी वजह से जनता और नेता की दूरी ही नहीं घटी, बल्कि जब चाहें उनसे संवाद भी…

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मंगलयान की सफलता से सोशल मीडिया मंगलमय

भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतिहास रचते हुए अपने मंगल मिशन को जिस तरह सफलतापूर्वक अंजाम दिया है यकीनन वो भारत के वैज्ञानिक इतिहास की सबसे बड़ी कामयाबी है। इसका सौ फीसदी श्रेय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के वैज्ञानिकों को जाता है, जिन्होंने अपने कौशल से ये इतिहास रचा है। बुधवार (24 सितंबर 2014)…

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घाटी में गूंजती एक उम्मीद की आवाज़

नमस्कार, ये रेडियो कश्मीर है और आप शंकराचार्य की पहाड़ी से खबरें सुन रहे हैं। इंदिरा नगर में लोग वहां सुरक्षित जगहों पर पहुंचाए जा चुके हैं… जी हां, यही रेडियो है जो शंकराचार्य पहाड़ी की चोटी से मुसीबत में फंसे लोगों का संपर्क सूत्र बनकर सूचनाएं देता रहा। शंकराचार्य पहाड़ी से पूरा शहर डूबा…

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शिक्षक दिवस पर सिर्फ रस्म अदायगी नहीं, दृढ़ संकल्प चाहिए

  यूं तो रस्म अदायगी के लिए हम हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाते हैं और इसी बहाने पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ राधा कृष्णन को भी याद कर लेते हैं। लेकिन, सच पूछें तो आधुनिक दौर में शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य से हम कोसों दूर निकल चुके हैं। किसी को अपने व्यवसायिक जीवन…

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ऩई सरकार से देश भर के मदरसों को उम्मीदें

आखिर किसी ने सोचा है कि आखिर क्यों अब मदरसों से इंजीनियर नहीं निकल पा रहे हैं? आखिर क्यों मुस्लिम बच्चे हाईस्कूल या इंटरमीडिएट के बाद आगे की पढ़ाई अधूरी ही छोड़ रहे हैं? हाफिज, मुफ्ती, मौलाना बनने के लिए मदरसों में 18 घंटे पढ़ने वाला छात्र, क्यों नहीं सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी के…

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झमट्से गट्सल पूरे अरुणाचल के लिए प्रेरणास्रोत

लूमला- एक ऐसा छोटा सा गांव जो स्थित है उगते सूर्य का पर्वतों वाला प्रदेश यानी अरुणाचल प्रदेश जो भूटान और तिब्बत की सीमाओं से घिरा है। यहां पहुंचने के लिए जिला मुख्यालय त्वांग से करीब एक घंटे का सफर तय करना पड़ता है। गौरतलब है कि अगर आप अपने अंतर्राष्ट्रीय रोमिंग वाले फोन के…

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मोबाइल दिला सकती है आदिवासी सूरों को पहचान

अगर भारत को भाषाओं की धरोहर का खजाना कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति न होगी। विश्व के नक्शे पर शायद भारत ही एक ऐसा देश है जहां हर कोस पर भाषा में अलग रंगत, अलग अंदाज नज़र आता है, उनमें से एक है भाषा गोंडी। 2011 जनगणना में पाया गया कि देश में करीब 30…

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मोबाइल पर स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा, सशक्तिकरण का कारगर हथियार

1950 में इंटरनेट की शुरुआत हुई तो इंटरनेट की दुनिया में क्रांति आते-आते चार दशकों का वक्त लग गया। मगर जब क्रांति आई तो इसका सकारात्मक असर पूरी दुनिया पर नज़र आया। जिसके चलते संचार के क्षेत्र में भी अप्रत्याशित बदलाव हमें देखने को मिले। एक क्लिक पर आपके हाथ विश्व की जानकारियों, संस्कृतियों का…

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भारत के गांवों को भी चाहिए ‘गुईफाई डॉट नेट’

मार्शल मैकलुहान ने ग्लोबल विलेज की जब धारणा पेश की तो ज्यादातर विचारकों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया । लेकिन, आज सारी दुनिया में ग्लोबल विलेज की धारणा का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि, अबतक बतौर ग्लोबल विलेज पूरी दुनिया को बांधने का काम, अगर किसी ने किया है तो वो है…

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संपर्क सेतू – स्वस्थ गांव और स्वस्थ देश की अचूक कड़ी

आज से ठीक 3 साल पहले 2011 के जनवरी महीने में ब्रिटेन की मशहूर विज्ञान पत्रिका ‘लैंसेट’ की रिपोर्ट छपी थी। जिसमें कहा गया था कि अगर भारत ने अपनी तेज़ी से बढ़ती आबादी के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया तो देश का आर्थिक विकास ख़तरे में पड़ सकता है। रिपोर्ट में ये भी कहा…

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सूचना और तकनीक से साकार हो सकते हैं बापू के अधूरे सपने !

विरासत यानी धरोहर को अगर आसान लहजे में बताना हो तो मैं कहूंगा कि ये एक बेशकीमती और  बहुत जल्दी नष्ट न होने वाला ऐसा खजाना है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को सौगाद के रूप में पहुंचता है। वैसे भी हर शख्स अपने निजी और पारिवारिक जिंदगी में विरासत की अहमीयत को बखूबी जानते…

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ई-गवर्नेंस’ जरूरी, क्योंकि मशीनें रिश्वत नहीं माँगती

यूं तो 2014 आम चुनाव कई मायने में याद रखा जाएगा, उऩमें खास है सोशल मीडिया के सहारे सूचना और तकनीक का भरपूर इस्तेमाल। जिसकी वजह से देश के हर कोने में वोटिंग के

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मार्गदर्शन के अभाव में उत्तर-पूर्वी राज्यों के युवाओं का पलायन

हमारे देश में कहीं एक और दूसरा देश बसता है, जिसमें चीनी संस्कृति की झलक, भारतीयता से लबरेज, बदला-बदला सा खानपान का अहसास कराता है। कुदरती खूबसूरती के बीच नदी में लिपटा दुनिया का सबसे लंबा द्वीप, पहाड़ियों पर सर्पीले रास्ते, दुनिया का सबसे नम स्थान, चाय के बाग इसमें और चार चांद लगा देते…

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अब गांव की मिट्टी में भी घुलेंगे अंग्रेजी के ‘बोल’

यूं तो अकसर छोटे शहरों और गांवों में अंग्रेजी को लोग नजरंदाज कर देते हैं, जिसकी वजह से वह न शुद्ध अंग्रेजी बोल सकते हैं न वो लिख सकते हैं। आधुनिक भारत में अहम मौकों से महरूम होने की ये भी एक अहम वजह है। आज हमारे समाज में विशेष शैक्षिक संस्थानों तक किसी शख्स…

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चुनाव के बहाने ही सही, नई तकनीक से रूबरू हो रहे हैं गांववाले

जहां देश भर में लोकसभा चुनाव की सर्गरमी तेज है, वहीं दूसरी तरफ घोषणाओं और वादों का पिटारा भी खुल चुका है।  लेकिन, हर बार की तरह इस बार भी किसी में विकास की कोई छटपटाहट नहीं है। अगर, इस चुनाव में कुछ नया है तो वो है सूचना और तकनीक का भरपूर इस्तेमाल। 9…

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नजरे इनायत से महरूम जरदोजी, बोले-

देश भर में आम चुनाव की घोषणा होते ही माहौल बदला-बदला सा नजर आने लगा है। कहीं एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ तो कहीं किसी खास समुदाय का हितैसी बताने की होड़। इसी होड़ में कहीं ऐसा गुमनाम इलाका भी है जहां के लोग चुनावी गहमागहमी से बेखबर हर रोज की तरह अभावों…

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आईटी के क्रांति युग में अंग्रेजी बन सकती है सफलता की सीढ़ी

दुनिया भर में सूचना क्रांति को नई दिशा देने में भारत का जो  योगदान रहा है उसे देखते हुए दुनिया के लोगों में ये सोच बन गई  है कि भारत के ज्यादातर शिक्षित युवा आईटी के क्षेत्र में अच्छा-खासा ज्ञान रखते होंगे। हालांकि इसके पीछे सच्चाई कुछ और ही है। दरअसल सूचना प्रौद्योगिकी में भारत…

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सूचना-संपन्न समाज निर्माण के लिए शैक्षिक-तकनीक पर तवज्जो जरूरी

ये बात सच है कि आज का समाज सूचना का समाज है। सूचना तकनीक ही एक ऐसाक्षेत्र है जिसमें भारत दुनिया के अग्रणी देशों के साथ क़दम से क़दम मिलाकर आगे बढ़ रहा है। आज भारत में करीब पांच करोड़ लोग ऑनलाइन हैं और और करीब सात करोड़ लोग किसी न किसी रूप में सर्च…

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तकनीक से टकराव नहीं, उसे आत्मसात करने की जरूरत

आजकल अकसर हमें कहीं न कहीं विज्ञान और तकनीक से इस्लाम का टकराव देखने को मिल जाता है।  दूर-दराज गांवों में कई बार मुस्लिम समुदाय विज्ञान और तकनीक को गैर-इस्लामी तक करार देते हैं। ऐसे में कई जगहों पर ऐसी सोच भी बनने लगी है कि इस्लाम विज्ञान और तकनीक को तरक्की का जरिया नहीं बनाया…

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गाँवों मे सूचना क्रांति के लिए सोशल मीडीया को पगडंडियों तक पहुंचना होगा

जहां सोशल मीडिया भारतीय राजनीति का नक्शा बदलने को तैयार है, वहीं इसने कभी-कभार इस्तेमाल करने वाले राजनीतिज्ञों या इसका बेजा इस्तेमाल करने वालों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है सामाजिक कार्यकर्ता से राजनेता बने केजरीवाल, जिन्होंने ट्विटर, फेसबुक की मदद से सड़क से सत्ता तक का सफर…

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कहीं दूसरा ‘विदर्भ’ न बन जाए ‘कुर्ग’

हर रोज सुबह कॉफी की महक से ही आधा भारत जागता है। क्या कभी आपने सोचा है कि जिस कॉफी से आपके दिन की शुरुआत होती है, वो कहां से आती है? वो कहीं और देशों से नहीं बल्कि अपने ही देश के दक्षिण का एक जिला कुर्ग से आता है जो पिछले 300 साल…

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मछुआरों को टीवी से नहीं अब सीआईआरसी से मिलेगी मौसम की जानकारी

खूंखार हुआ ‘हेलन’, खतरे में विशाखापट्टनम…..ये वो लाइन थे जो पिछले साल नवंबर में हर टेलीविजन चैनल, अखबार में छाए हुए थे। क्या आप जानते हैं इस खबर का कितना असर हुआ था? इस खबर का असर इस कदर हुआ कि समुद्री तट पर रहने वाली पूरी आबादी घर बार छो़ड़ किसी सुरक्षित ठिकाने पर…

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सीआईआरसी बदल सकती है ओपली ओडन की तस्वीर

13 मार्च 2013 का वो दिन आज भी मुझे याद है जब रेड रिक्शा रेवलूशन यात्रा के दौरान पहली बार उपली ओदन की उपसरपंच से मेरी मुलाकात हुई थी। जींस औऱ कुर्ते में मोटरसाइकिल पर सवार उपसरपंच राखी पालीवाल को देख थोड़ी देर के लिए हैरान हो गया था। पहली नजर में तो मुझे यकीन…

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दिल्ली चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में भी दिख सकता है सोशल मीडिया का दम

क्या आप जानते हैं दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की जीत का राज? ‘आप’ वहीं पार्टी है जिसने देश के युवाओं को ही नहीं, दुनिया भर में रह रहे भारतीय युवाओं को भी अपना दिवाना बना दिया है। और ये सब हुआ सिर्फ और सिर्फ सोशल मीडिया की वजह से। क्योंकि आम…

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ग्रामीण स्कूल जहां जमीन को कॉपी औऱ आसमान को किताब समझते हैं बच्चे !

महाराष्ट्र का वो जिला जिसके उत्तर में अहमदनगर, पूर्व में अहमदनगर और शोलापुर, दक्षिण में नीरा नदी एवं सतारा और पश्चिम में कोलाबा हैं। उसके पश्चिमी भाग पश्चिमी घाट पहाड़ की वजह से ऊँचा नीची जरूर है, लेकिन पश्चिम में भोर घाट रेल और सड़क का मुख्य द्वार है। ये वही जिला है जहां मई…

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उन्नत कृषि और खुशहाली के लिए किसानों को बनना होगा एग्रोप्रेन्योर!

आजादी के बाद किसानों की एक बड़ी आस थी कि अब उनके दिन सुधर जाएंगें। जो कुछ किसानों के पास था अपना पुराने खेती के औजार, पुरानी खेती के तौर तरीके, पुराने देशी नस्ल के गाय- बैल, भैंस, बकरी, सादगी से भरपूर रहन-सहन और आपसी भाई-चारा। क्या उमंग, क्या जोश था। गांवों की आबो-हवा, तालाब,…

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नए जमाने का मीडिया-‘कॉम्यूनिटी रेडियो’ की शक्ति को पहचानने की जरूरत

आज भारत में जहां एक तरफ एंटरटेंनमेंट मीडिया हर साल तरक्की की नई नई ऊंचाईंयां छू रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ एक बड़ी आबादी कॉम्यूनिटी रेडियो यानी सामुदायिक रेडियो के नाम से भी परिचित नहीं है। हालांकि इसकी वजहें कई हो सकती हैं। एक तो कॉम्यूनिटी रेडियो का दायरा बेहद छोटा होना और दूसरे…

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